भारत और कनाडा के द्विपक्षीय संबंध दशकों से मजबूत रहे हैं, लेकिन हाल के वर्षों में इनमें कुछ गहरी दरारें उभरकर सामने आई हैं। विशेष रूप से 2023 में खालिस्तानी गतिविधियों और एक सिख अलगाववादी की हत्या को लेकर उठे विवादों ने दोनों देशों के बीच विश्वास की दीवार को हिला दिया। हालांकि, हाल की घटनाओं ने इस बात की ओर इशारा किया है कि दोनों राष्ट्र अब संबंधों को पुनः सामान्य बनाने की दिशा में अग्रसर हो रहे हैं।
मंगलवार को भारत और कनाडा ने संकेत दिया कि वे अपने रिश्तों को फिर से पटरी पर लाने को लेकर गंभीर हैं। दोनों देशों ने एक-दूसरे की राजधानियों में उच्चायोगों (High Commissions) की पूर्ण बहाली पर सहमति व्यक्त की है। यह निर्णय स्पष्ट करता है कि यद्यपि हालिया घटनाओं ने दोनों देशों के बीच मतभेद को तीव्र किया, फिर भी संवाद और कूटनीति के माध्यम से संबंधों को पुनर्जीवित करने की इच्छा कायम है।
मुद्दे की पृष्ठभूमि: खालिस्तानी गतिविधियाँ और कूटनीतिक टकराव
कनाडा में सक्रिय खालिस्तानी तत्व
कनाडा में खालिस्तानी अलगाववादी तत्वों की सक्रियता भारत की सुरक्षा चिंताओं के केंद्र में रही है। खालिस्तान समर्थक रैलियों, झंडों, भित्तिचित्रों और यहां तक कि भारतीय राजनयिक मिशनों के विरुद्ध हिंसक घटनाओं ने भारत सरकार को गंभीर चिंता में डाल दिया। भारत का यह मानना है कि कनाडा की सरकार द्वारा इस तरह की गतिविधियों के प्रति उदासीन रवैया अपनाया गया है, जिससे द्विपक्षीय संबंधों में तनाव पैदा हुआ।
भारत की कड़ी आपत्तियाँ
भारत ने खालिस्तानी गतिविधियों के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए कनाडा से कई बार अपील की कि वह इन अलगाववादी तत्वों पर कठोर कार्रवाई करे। भारत का यह भी कहना है कि ये तत्व न केवल भारत की संप्रभुता को चुनौती देते हैं, बल्कि भारत-कनाडा संबंधों को भी हानि पहुँचाते हैं। हालांकि, कनाडा सरकार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर कार्रवाई से बचती रही, जिससे भारत की असंतुष्टि और अधिक बढ़ गई।
2023 का राजनयिक विवाद: एक गंभीर मोड़
भारत पर सीधा आरोप
सितंबर 2023 में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने संसद में एक बयान दिया, जिसमें उन्होंने भारत की खुफिया एजेंसियों पर आरोप लगाया कि वे खालिस्तान समर्थक नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में संलिप्त थीं। यह आरोप भारत के लिए अप्रत्याशित और आपत्तिजनक था।
भारत की प्रतिक्रिया
भारत ने इन आरोपों को स्पष्ट रूप से खारिज करते हुए इसे “राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित” बताया। भारत ने कड़ा कदम उठाते हुए कई कनाडाई राजनयिकों को देश छोड़ने का आदेश दिया और कनाडा के साथ व्यापार वार्ताएँ, विशेषकर Comprehensive Economic Partnership Agreement (CEPA) और Foreign Investment Promotion and Protection Agreement (FIPA), को तत्काल प्रभाव से रोक दिया।
ऐतिहासिक दृष्टिकोण: भारत–कनाडा संबंधों की यात्रा
भारत और कनाडा के बीच राजनयिक संबंधों की शुरुआत 1947 में हुई थी। दोनों लोकतांत्रिक देश हैं और कॉमनवेल्थ के सदस्य होने के नाते उनके बीच अनेक साझी सांस्कृतिक और राजनीतिक मूल्य हैं।
1974 और 1998 के परमाणु परीक्षणों के बाद तनाव
भारत द्वारा 1974 और 1998 में किए गए परमाणु परीक्षणों के बाद कनाडा ने अपनी Non-Proliferation (अप्रसार निरोधक) नीति के तहत भारत के खिलाफ कठोर रुख अपनाया। कनाडा ने उस समय भारत के साथ परमाणु सहयोग को स्थगित कर दिया था। हालांकि समय के साथ यह स्थिति बदली और दोनों देश परमाणु क्षेत्र में फिर से एक-दूसरे के करीब आए।
आर्थिक सहयोग: व्यापार और निवेश
भारत और कनाडा के बीच आर्थिक सहयोग द्विपक्षीय संबंधों का एक महत्वपूर्ण आधार रहा है।
वाणिज्यिक संबंध
- जनवरी–अगस्त 2024 के आंकड़ों के अनुसार भारत और कनाडा के बीच द्विपक्षीय वस्तु व्यापार 8.55 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा।
- भारत का कनाडा को निर्यात: 5.22 बिलियन USD
- भारत का कनाडा से आयात: 3.33 बिलियन USD
CEPA और FIPA पर बातचीत
भारत और कनाडा के बीच CEPA (Comprehensive Economic Partnership Agreement) तथा FIPA (Foreign Investment Promotion and Protection Agreement) जैसे समझौतों पर बातचीत कई वर्षों से चल रही है। हालांकि, राजनीतिक कारणों और आपसी अविश्वास के चलते इन समझौतों को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है।
परमाणु सहयोग: एक नई दिशा
2010 परमाणु सहयोग समझौता (NCA)
2010 में दोनों देशों के बीच एक ऐतिहासिक परमाणु सहयोग समझौता हुआ, जो 2013 से लागू है। इस समझौते के तहत कनाडा ने भारत को शांतिपूर्ण उपयोग के लिए यूरेनियम की आपूर्ति शुरू की। इसके माध्यम से ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरणीय स्थिरता के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा मिला।
संयुक्त निगरानी समिति
एक संयुक्त समिति इस समझौते के क्रियान्वयन की निगरानी करती है ताकि पारदर्शिता और जवाबदेही बनी रहे।
अंतरिक्ष और विज्ञान-तकनीक सहयोग
ISRO–CSA साझेदारी
1996 और 2003 में भारत की अंतरिक्ष एजेंसी ISRO और कनाडा की Canadian Space Agency (CSA) के बीच सहयोग समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। इन समझौतों के तहत उपग्रह ट्रैकिंग, अंतरिक्ष खगोल विज्ञान और वाणिज्यिक सैटेलाइट प्रक्षेपण जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा मिला।
ISRO की वाणिज्यिक शाखा ANTRIX ने कनाडा के कई नैनो सैटेलाइट्स को सफलतापूर्वक लॉन्च किया है।
जलवायु एवं ध्रुवीय अनुसंधान
भारत के Earth Sciences विभाग और कनाडा की Polar Canada संस्था के बीच Cold Climate Studies हेतु संयुक्त कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। 2020 में NCPOR (National Centre for Polar and Ocean Research) और POLAR Canada के बीच समझौता हुआ, जो जलवायु परिवर्तन के अध्ययन में सहायक है।
जन–जन संपर्क: एक गहरा सामाजिक रिश्ता
प्रवासी भारतीयों की भूमिका
कनाडा में 18 लाख इंडो-कनाडाई और 10 लाख एनआरआई रहते हैं, जो वहां की कुल जनसंख्या का लगभग 3% हैं। यह समुदाय भारत और कनाडा के बीच सांस्कृतिक पुल का कार्य करता है और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाता है।
विद्यार्थी संपर्क
भारत कनाडा में अंतरराष्ट्रीय छात्रों का सबसे बड़ा स्रोत है। वर्तमान में कनाडा में पढ़ने वाले 40% विदेशी छात्र भारतीय हैं। यह शिक्षा और मानव संसाधन विकास के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच सहयोग को दर्शाता है।
बहुपक्षीय मंचों पर सहभागिता
भारत और कनाडा कई वैश्विक मंचों पर सहयोग करते हैं:
- G20 – वैश्विक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता के मुद्दों पर
- कॉमनवेल्थ – लोकतांत्रिक मूल्य और विकासात्मक सहयोग
- संयुक्त राष्ट्र – वैश्विक शांति और सुरक्षा की दिशा में साझेदारी
- International Solar Alliance (ISA) – सौर ऊर्जा के प्रचार-प्रसार में संयुक्त पहल
हालिया घटनाक्रम और पुनःसंधान की संभावनाएँ
2025 में भारत और कनाडा ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए यह घोषणा की कि वे अपने उच्चायोगों की पुनर्स्थापना करेंगे। यह कूटनीतिक दृष्टि से एक सकारात्मक संकेत है, जिससे यह उम्मीद की जा सकती है कि दोनों राष्ट्र आपसी अविश्वास को दूर कर नए सिरे से संबंधों को मज़बूत करेंगे।
भारत–कनाडा संबंध ऐतिहासिक, सामाजिक और आर्थिक स्तर पर गहरे हैं। हालांकि, हाल के वर्षों में खालिस्तानी गतिविधियों और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोपों के कारण संबंधों में गंभीर दरारें आई हैं। लेकिन यह भी उतना ही सत्य है कि दोनों देशों के पास साझा हित और मूल्य हैं, जो उन्हें निकट लाते हैं।
इन संबंधों को पुनर्जीवित करने के लिए पारदर्शी संवाद, आतंकवाद के प्रति एकजुट रुख, और जनता के स्तर पर संपर्क को और अधिक सशक्त बनाना होगा। यदि भारत और कनाडा अपने मतभेदों को पीछे छोड़कर परस्पर सम्मान और सहयोग की भावना से आगे बढ़ते हैं, तो वे न केवल अपने द्विपक्षीय रिश्तों को नया आयाम देंगे, बल्कि वैश्विक मंच पर भी एक प्रभावशाली साझेदारी का निर्माण कर सकेंगे।
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