वैसे तो मुगल साम्राज्य के समापन के साथ भारत का आधुनिक इतिहास की शुरुआत मानी जाती हैं, लेकिन मुगल काल का पतन अचानक से नहीं हुआ था, ये कई वर्षों तक चलने वाले राजनैतिक गतिविधियों का परिणाम था जिसके परिणामस्वरूप भारत की सत्ता मुगलों से ब्रिटिशर्स के पास चली गयी। वास्तव में भारत शुरू से सोने की चिड़िया था, और सारी दुनिया की नजर यहाँ की संपति और वैभव पर थी। जिसका साक्ष्य इस देश पर हुए अनगिनत हमले हैं, और इन हमलों के दौरान ही सत्ता कब मूल भारतीय शासकों के हाथ से निकलकर विदेशियों के हाथ में पहुंची, इसका अंदाजा तब तक नही हुआ, जब तक इतिहास का विश्लेषण ना किया गया।
उस काल में भारत में जमीन के लिए सभी राजा एक-दुसरे से लड़ रहे थे, इसी बात ने विदेशी आक्रान्ताओं को आकर्षित किया, और उन्होंने उपलब्ध संसाधनों का उपभोग करते हुए यहाँ शासन तक अपनी पहुँच बनाई। जैसे यूरोपियन शुरू में भारत से मसालों का व्यापार करना चाहते थे, लेकिन कालांतर में उन्होंने परिस्थितयों को इस तरह से अपने वश में किया कि राजशाही को लगभग समाप्त करके पूरा साम्राज्य अपने अधीन कर लिया।
मुगलों के भारत में समापन से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी के शासन काल तक को भारत का आधुनिक इतिहास माना जा सकता है। सभी इतिहासकारों और बुद्धिजीवियों के अपने-अपने और अलग-अलग तथ्य हैं, जिनमे से कुछ का कहना है कि आधुनिक भारतीय इतिहास, भारत की आजादी पर खत्म हो जाता है।
भारत का आधुनिक इतिहास की महतवपूर्ण वर्ष
1857 | स्वतंत्रता संग्राम की पहली क्रान्ति-सैन्य विद्रोह और झांसी की रानी का संघर्ष |
1858 | ब्रिटिश क्राउन ने भारत की सत्ता ईस्ट इंडिया कम्पनी से ले ली |
1877 | इंग्लैंड की महारानी ने ने भारत पर शासन शुरू किया |
1878 | वेरनाक्युलर प्रेस एक्ट |
1881 | फैक्ट्री एक्ट |
1885 | इंडियन नेशनल कांग्रेस की पहली मीटिंग |
1897 | बोम्बे में प्लेग का फैलना और फेमाइन कमीशन का आना |
1899 | लार्ड कर्जन का गवर्नर जनरल और वायसराय बनना |
1905 | बंगाल का विभाजन |
1906 | मुस्लिम लीग का बनना |
1911 | बंगाल के विभाजन में परिवर्तन (मॉडिफिकेशन) और बंगाल में प्रेसिडेंसी बनाना |
1912 | ब्रिटिश राजधानी का कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित होना |
1913 | भारत की सरकार का शैक्षिक संकल्प |
1915 | डिफेन्स ऑफ़ इंडिया एक्ट |
1916 | होम रूल लीग,पूना में महिला विश्विद्यालय की स्थापना |
1919 | रोलेट एक्ट विरोध,जलियावाला बाग़ हत्याकांड |
1920 | खिलाफत आंदोलन की शुरुआत,असहयोग आंदोलन |
1921 | मालाबार में मोपला विद्रोह:सेन्सस ऑफ़ इंडिया (Census of india) |
1922 | असहयोग आंदोलन,चौरी-चौरा काण्ड |
1925 | रिफोर्म इन्क्वायरी कमिटी रिपोर्ट |
1927 | इंडियन नेवी एक्ट:साइमन कमीशन बनना |
1928 | साइमन कमीशन भारत में आई,सभी पार्टियों ने इसका बहिष्कार किया |
1929 | लार्ड इरविन ने भारत को सम्प्रभुता देने का वादा किया |
1930 | नमक सत्याग्रह,पहला गोलमेज सम्मेलन |
1931 | दूसरा गोलमेज सम्मेलन:इरविन-गांधी समझौता |
1932 | तीसरा गोलमेज सम्मेलन,पूना पैक्ट |
1934 | असहयोग आंदोलन की समाप्ति |
1937 | प्रांतीय स्वायत्ता का उद्घाटन |
1939 | भारत में कांग्रेस नेताओं के इस्तीफे से राजनीति में गतिरोध होना |
1942 | क्रिप मिशन |
1944 | गांधी-जिन्ना का पाकिस्तान मुद्दे पर बातचीत |
1946 | भारतीय नेवी में विद्रोह,कैबिनेट मिशन और अंतरिम सरकार का निर्माण |
3 जून 1947 | लार्ड माउंटबेटन का भारत विभाजन की योजना |
15 अगस्त 1947 | भारत का विभाजन और स्वतंत्रता |
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का भारत आना
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना भारत में 31 दिसंबर 1600 को हुई थी। इसके आने इसे भारतीय आधुनिक इतिहास का प्रथम चरण कहा जा सकता है। पहले इसे जॉन कंपनी के नाम से जाना जाता था लेकिन बाद में यह ईस्ट इंडिया कंपनी कहलाई थी। जॉन वाट्स इस कम्पनी के फाउंडर थे और उन्होने हीइस कंपनी के लिए व्यापार करने की इजाजत, ब्रिटेन की महारानी से ली थी।
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना द्वारा ही आधुनिक भारतीय इतिहास की नींव रखी गई। आधुनिक भारतीय इतिहास में घटने वाले अन्य सभी घटनाक्रम ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापन पर ही आधारित हैं। ईस्ट इंडिया कंपनी जब भारत में आई थी उस समय मुगलों का राज था। उसके कई सालों बाद मुगलों और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच 1757 में प्लासी का युद्ध हुआ था जिसे अंग्रेज़ों ने आसानी जीता था। उसके बाद 1764 में बक्सर का युद्ध हुआ था जो अंग्रेज़ों और शुजाउद्दौला के बीच हुआ था जिसे अंग्रेज़ आसानी से जीते थे। ऐसे करके ईस्ट इंडिया कंपनी ने मुगलों को हाशिये पर धकेल कर पूरे भारत पर अपना राज़ कायम कर लिया था।
फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कंपनी का भारत आना
फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कंपनी एक व्यापारिक संस्था थी। इस कंपनी की स्थापना 1664 ईस्वी में की गयी थी। इस कंपनी की स्थापना का उद्देश्य ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी और डच ईस्ट इंडिया कंपनी से व्यापारिक प्रतिस्पर्धा करना था।
मुग़ल साम्राज्य में सूरत एक प्रमुख बंदरगाह था, जहां से विश्वभर का व्यापार होता था। अंग्रेजों ने यहाँ अपनी प्रथम फैक्ट्री 1613 ईस्वी में स्थापित की थी। अंग्रेजों के बाद डचों ने 1618 में यहाँ अपनी फैक्ट्री स्थापित की। इसके अतिरक्त यूरोपियन व्यापारियों, ईसाई मिशनरियों, यात्रियों द्वारा फ्रांसीसियों को मुग़ल साम्राज्य के विषय में साथ ही प्रमुख व्यापारिक बंदरगाह ( सूरत ) के विषय में जानकारी प्राप्त होती रही।
फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कंपनी ने भी अब भारत के साथ व्यापार करने का निश्चय किया और इस हेतु अपने दो प्रतिनिधि भारत भेजे। फ्रांसीसी प्रतिनिधि मार्च 1666 ईस्वी में सूरत पहुंचे ( क्योंकि फ्रांसीसी भी सूरत में फैक्ट्री स्थापित करना चाहते थे ) . सूरत के राज्यपाल ( गवर्नर ) ने उनका स्वागत किया, परन्तु भारत में पहले से ही अपनी जड़ें जमाये बैठे अंग्रेजों और डचों को अपने नए प्रतिद्वंदी ( फ्रांसीसी ) का आना पसंद नहीं आया।
1857 – प्रथम स्वतंत्रता संग्राम
भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम दुनिया द्वारा आदर्श स्वतंत्रता संग्राम के रूप में देखा जाता है। भारतीयों द्वारा औपनिवेशिक शासन से मुक्ति पाने के लिए सर्वप्रथम वर्ष 1857 ई. में वृहद् स्तर पर क्रांति की गयी थी, इस क्रांति को भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के रूप में जाना जाता है। अंग्रेजों के अत्याचारी शासन के विरुद्ध वर्ष 1857 ई. की क्रान्ति को भारत की स्वतंत्रता में मील का पत्थर माना जाता है जिसके कारण अंतत देश के अन्य स्वतंत्रता आंदोलनों को दिशा प्राप्त हुयी। 1857 की क्रान्ति का वृहद् प्रभाव यह रहा की इसके माध्यम से अंग्रेजी शासन की राजसत्ता हिल गयी, एवं देश के नागरिको में स्वतंत्रता की चेतना की लहर दौड़ गई।
मुगल साम्राज्य का अंत
1857 की आज़ादी के विद्रोह के असफल होने से मुगल सम्राट बहादुर शाह ज़फर को अंग्रेज़ो ने सजा के रूप के रंगून (म्यांमार) भेज दिया था। यह इसलिए हुआ था क्योंकि बहादुर शाह ज़फर ने 1857 की आज़ादी के विद्रोह में अंग्रेज़ों का साथ नहीं दिया था। 1862 में उनकी किसी बीमारी की वजह से मौत हो गई थी। इसी के साथ ही भारत से मुगल साम्राज्य का अंत भी हो गया।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना 28 दिसम्बर 1885 को हुई थी। इसकी स्थापना की थी एलन ऑक्टेवियन ह्यूम ने जो एक ब्रिटिश अधिकारी थे। कांग्रेस देश की सबसे पहली राजनीतिक पार्टी भी है। कांग्रेस ने देश के स्वतंत्रता आंदोलन में भी बहुत योगदान दिया था।
इस प्रकार भारत में ब्रिटिश शासन का दूसरा काल (1858-1947 ई.) आरम्भ हुआ। इस काल का शासन एक के बाद इकत्तीस गवर्नर-जनरलों के हाथों में रहा। गवर्नर-जनरल को अब वाइसराय (ब्रिटिश सम्राट का प्रतिनिधि) कहा जाने लगा। लॉर्ड कैनिंग पहला वाइसराय तथा गवर्नर-जनरल नियुक्त हुआ।
1885 ई. में बम्बई में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई, जिसमें देश के समस्त भागों से 71 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। कांग्रेस का दूसरा अधिवेशन 1883 ई. में कलकत्ता में हुआ, जिसमें सारे देश से निर्वाचित 434 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस अधिवेशन में माँग की गयी कि भारत में केन्द्रीय तथा प्रांतीय विधानमंडलों का विस्तार किया जाये और उसके आधे सदस्य निर्वाचित भारतीय हों। कांग्रेस हर साल अपने अधिवेशनों में अपनी माँगें दोहराती रही।
लॉर्ड डफ़रिन ने कांग्रेस पर व्यंग्य करते हुए उसे ऐसे अल्पसंख्यक वर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था बताया, जिसे सिर्फ़ ख़ुर्दबीन से देखा जा सकता है। लॉर्ड लैन्सडाउन ने उसके प्रति पूर्ण उपेक्षा की नीति बरती, लॉर्ड कर्ज़न ने उसका खुलेआम मज़ाक उड़ाया तथा लॉर्ड मिन्टो द्वितीय ने 1909 के इंडियन कॉउंसिल एक्ट द्वारा स्थापित विधानमंडलों में मुसलमानों को अनुचित रीति से अनुपात से अधिक प्रतिनिधित्व देकर उन्हें फोड़ने तथा कांग्रेस को तोड़ने की कोशिश की, फिर भी कांग्रेस ज़िन्दा रही।
1947 – आज़ाद भारत
15 अगस्त 1947 को भारत ने एक अलग सुबह देखी थी। यह सुबह थी आज़ादी वाली सुबह। इस आज़ादी से भारत ब्रिटिश राज से पूरी तरह आज़ाद हो गया था। पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भारत की आज़ादी की घोषणा की थी और उसके बाद वह देश के पहले प्रधानमंत्री भी बने थे।
भारत का विभाजन
भारत का विभाजन माउण्टबेटन योजना के आधार पर निर्मित भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 के आधार पर किया गया। इस अधिनियम में कहा गया कि 15 अगस्त 1947 को भारत व पाकिस्तान अधिराज्य नामक दो स्वायत्त्योपनिवेश बना दिए जायेंगें। एवं इसके बाद ब्रिटिश सरकार सत्ता सौंप देगी। स्वतंत्रता के साथ ही 14 अगस्त को पाकिस्तान अधिराज्य (बाद में जम्हूरिया ए पाकिस्तान) और 15 अगस्त को संघ (बाद में भारत गणराज्य) की संस्थापना की गई।
इस घटनाक्रम में मुख्यतः ब्रिटिश भारत के बंगाल प्रान्त को दो भागों में बाँट दिया गया। जिसके पूर्वी भाग को पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी भाग को पश्चिम बंगाल नाम दिया गया । पूर्वी पाकिस्तान को पाकिस्तान का हिस्सा बनाया गया जबकि पश्चिम बंगाल भारत का राज्य बना। और इसी तरह ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रान्त को भी दी भागों में बाँट दिया गया। जिसे पश्चिमी पाकिस्तान का पंजाब प्रान्त और भारत का पंजाब राज्य दिया गया। अर्थात दोनों का नाम पंजाब ही है, एक पाकिस्तान के हिस्से का पंजाब और एक भारत के हिस्से का पंजाब है।
इसी दौरान ब्रिटिश भारत में से सीलोन (श्रीलंका) और बर्मा (म्यांमार) को भी अलग किया गया, लेकिन इसे भारत के विभाजन में नहीं शामिल किया जाता है। इसी तरह 1971 में पाकिस्तान के विभाजन और बांग्लादेश की स्थापना को भी इस घटनाक्रम में नहीं गिना जाता है। नेपाल और भूटान इस दौरान स्वतन्त्र राज्य थे और इस बँटवारे से प्रभावित नहीं हुए।
भारत के किये गए युद्ध
भारत ने पांच बार युद्ध किये है जो निम्न हैं-
- भारत-पाकिस्तान युद्ध (1947)– स्वतंत्रता के बाद ये भारत और पाकिस्तान का पहला युद्ध था जो क़रीब 14 महीने चला था।
- भारत चीन युद्ध (1962)– इस युद्ध के कारण जो सबसे बड़ी चीज़ दोनों देशों ने गंवाई, वह उनका आपसी विश्वास था।
- भारत-पाकिस्तान युद्ध (1965)– ये बहुत भीषण युद्ध था जिसपर ताशकंद समझौते के बाद विराम लगा।
- भारत-पाकिस्तान युद्ध (1971)– इसे बांग्लादेश युद्ध भी कहा जाता है।
- भारत-पाकिस्तान युद्ध (1999)– इसे कारगिल युद्ध भी कहा जाता है।
1974 का परमाणु परिक्षण
ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्धा नाम से राजस्थान के पोखरण आर्मी बेस से भारत का पहला परमाणु बम परिक्षण हुआ था। यह परिक्षण पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी जी के प्रधानमंत्री रहते हुए हुआ था। इसकी क्षमता 12 किलो टन थी। सफल परिक्षण के बाद भारत एक परमाणु शक्ति देश बन गया था। लेकिन अमेरिका सहित कई देशो द्वारा भारत को परमाणु शक्ति देश के रूप में नहीं माना गया था। भारत को परमाणु शक्ति देश के रूप में 1998 में माना गया था।
1998 का परमाणु परिक्षण
भारत ने वर्ष 11 मई सन 1998 को राजस्थान के पोखरण में परमाणु परीक्षण कर दुनिया को चौंका दिया था। अचानक किये गए इन परमाणु परीक्षणों से अमेरिका, पाकिस्तान सहित सभी देश अचंभित रह गए थे। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम तथा पूर्व प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयी की अगुआई में यह मिशन कुछ इस तरह से अंजाम दिया गया कि अमेरिका समेत पूरी दुनिया को इसकी भनक तक नहीं लगी।
इन्हें भी देखें –
- अमेरिकी गृहयुद्ध (1861 – 1865 ई.)
- परिसंघीय राज्य अमेरिका |CSA|1861-1865
- फ्रांस की क्रांति: एक रोमांचकारी परिवर्तन और जज्बाती संघर्ष |1789 ई.
- रूस की क्रांति: साहसिक संघर्ष और उत्तराधिकारी परिवर्तन |1905-1922 ई.
- प्रथम विश्व युद्ध: विनाशकारी महासंग्राम | 1914 – 1918 ई.
- द्वितीय विश्व युद्ध | 1939-45 | वैश्विक विनाश और महायुद्ध
- सोवियत संघ USSR|1922-1991| गठन से पतन तक की ऐतिहासिक यात्रा
- वारसॉ संधि | 1955-1991 | सोवियत संघ का एक महत्वपूर्ण पहल और ग्लोबल समर्थन
- नाटो | 1949 | सुरक्षित संबंध और विवादित अपेक्षाएँ
- नाजी जर्मनी: तिरस्करण की शक्ति | 1933 -1945
- एडॉल्फ हिटलर |1889-1945 | एक पॉवरफुल नेता की यात्रा
- शीत युद्ध |Cold War |1947 -1991| उत्पत्ति, कारण और चरण
- कोरियाई युद्ध |1950-1953
- नसिरुद्दीन महमूद शाह | 1246-1266 ई.