भारत ने हाल ही में थाईलैंड में आयोजित एशिया-प्रशांत ब्रॉडकास्टिंग डेवलपमेंट संस्थान (AIBD) के 23वें महासम्मेलन (General Conference) में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। इस सम्मेलन में भारत को AIBD की कार्यकारी परिषद (Executive Board) का अध्यक्ष चुना गया। यह उपलब्धि न केवल भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव को दर्शाती है, बल्कि यह भी प्रमाणित करती है कि प्रसारण और मीडिया के क्षेत्र में भारत एक मजबूत नेतृत्वकारी शक्ति के रूप में उभर रहा है।
यह लेख AIBD का इतिहास, उद्देश्य, सदस्यता, भारत की भूमिका और भविष्य की संभावनाओं पर केंद्रित है। साथ ही, यह भी समझने का प्रयास किया जाएगा कि इस संस्था में भारत की अध्यक्षता क्षेत्रीय सहयोग, तकनीकी प्रगति और मीडिया के लोकतांत्रिक मूल्यों को किस प्रकार प्रभावित कर सकती है।
एशिया-पैसिफिक इंस्टीट्यूट फॉर ब्रॉडकास्टिंग डेवलपमेंट (AIBD) का परिचय
एशिया-पैसिफिक इंस्टीट्यूट फॉर ब्रॉडकास्टिंग डेवलपमेंट (AIBD) एक अंतर-सरकारी संगठन (Intergovernmental Organization) है, जिसे 1977 में स्थापित किया गया। इसकी स्थापना यूनेस्को (UNESCO) की देखरेख में हुई थी।
- स्थापना वर्ष: 1977
- मुख्यालय: कुआलालंपुर, मलेशिया
- प्रकार: अंतर-सरकारी संगठन
- सदस्य देश: 45
- सदस्य संगठन: 92
AIBD का मूल उद्देश्य एशिया-पैसिफिक क्षेत्र में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के विकास, प्रशिक्षण और सहयोग को बढ़ावा देना है।
AIBD की आवश्यकता और उद्देश्य
जब 1970 के दशक में वैश्विक स्तर पर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का तेजी से विकास हो रहा था, तब यह महसूस किया गया कि विकासशील देशों, विशेषकर एशिया-प्रशांत क्षेत्र के देशों को तकनीकी सहयोग और संस्थागत समर्थन की आवश्यकता है। इसी पृष्ठभूमि में AIBD की स्थापना की गई।
मुख्य उद्देश्य:
- क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ाना – प्रसारण और मीडिया संस्थानों के बीच आपसी साझेदारी को प्रोत्साहित करना।
- क्षमता निर्माण – पत्रकारों, तकनीशियनों और प्रसारकों को प्रशिक्षण प्रदान करना।
- तकनीकी नवाचार – डिजिटल प्रसारण, सैटेलाइट टीवी, ऑनलाइन स्ट्रीमिंग और नए मीडिया प्लेटफॉर्म को बढ़ावा देना।
- सामाजिक जिम्मेदारी – मीडिया के माध्यम से शांति, विकास, शिक्षा और सांस्कृतिक एकता को सुदृढ़ करना।
- सदस्य देशों का समन्वय – मीडिया नीतियों और प्रसारण से जुड़े मुद्दों पर साझा मंच उपलब्ध कराना।
AIBD की सदस्यता और विस्तार
AIBD में वर्तमान समय में 45 सदस्य देश और 92 सदस्य संगठन शामिल हैं। इनमें राष्ट्रीय प्रसारण संस्थान, मीडिया प्रशिक्षण संस्थान और विभिन्न सरकारी एजेंसियाँ शामिल हैं।
सदस्यता के अंतर्गत एशिया-प्रशांत क्षेत्र के साथ-साथ यूरोप और अफ्रीका के कुछ देश भी शामिल हैं। इस प्रकार, यह संगठन वैश्विक मीडिया जगत में एक सहयोगी सेतु (Collaborative Bridge) की तरह कार्य करता है।
भारत और AIBD का संबंध
भारत AIBD का संस्थापक सदस्य है। इसकी सदस्यता की शुरुआत से ही भारत ने इस संस्था के साथ सक्रिय भूमिका निभाई है।
- भारत की ओर से प्रसार भारती (Doordarshan और All India Radio) इसका प्रतिनिधित्व करता है।
- साथ ही, भारत का सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भी AIBD से जुड़ी गतिविधियों में प्रत्यक्ष भूमिका निभाता है।
- वर्षों से भारत AIBD की प्रशिक्षण, प्रसारण नीति, डिजिटलाइजेशन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों में योगदान करता रहा है।
भारत की हालिया उपलब्धि – कार्यकारी परिषद का अध्यक्ष पद
थाईलैंड में हुए 23वें महासम्मेलन में भारत को AIBD की कार्यकारी परिषद (Executive Board) का अध्यक्ष चुना गया। यह निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया, जो इस बात का द्योतक है कि सदस्य देशों को भारत के नेतृत्व पर गहरा भरोसा है।
यह उपलब्धि भारत के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण है:
- वैश्विक नेतृत्व की मान्यता – मीडिया और प्रसारण के क्षेत्र में भारत की बढ़ती क्षमता और प्रभाव को स्वीकार किया गया।
- क्षेत्रीय सहयोग की मजबूती – भारत अब अन्य देशों के साथ मिलकर मीडिया नीति और तकनीकी सहयोग की दिशा तय करेगा।
- नए अवसर – भारत को प्रशिक्षण, शोध, नवाचार और डिजिटल प्रसारण के क्षेत्र में अधिक अवसर प्राप्त होंगे।
भारत के नेतृत्व का महत्व
(क) तकनीकी दृष्टि से
भारत ने हाल के वर्षों में डिजिटल प्रसारण, डीटीएच सेवाएँ, ओटीटी प्लेटफॉर्म, और 5G आधारित ब्रॉडकास्टिंग जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है। AIBD में भारत का नेतृत्व इन तकनीकों को साझा करने और अन्य देशों को सहयोग देने में मदद करेगा।
(ख) सामाजिक दृष्टि से
भारत विविधता और लोकतंत्र का प्रतीक है। इसके मीडिया मॉडल से अन्य देश स्वतंत्रता, जिम्मेदारी और जनहित आधारित प्रसारण का अनुभव ले सकते हैं।
(ग) सांस्कृतिक दृष्टि से
भारतीय प्रसारण माध्यमों ने सदैव भारतीय संस्कृति, परंपरा और विविधता को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रस्तुत किया है। AIBD में नेतृत्व से भारत को अपनी सांस्कृतिक कूटनीति (Cultural Diplomacy) को मजबूत करने का अवसर मिलेगा।
क्षेत्रीय सहयोग और भारत की रणनीति
AIBD केवल तकनीकी मंच नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा मंच है जो एशिया-प्रशांत देशों को आपस में जोड़ता है। भारत की रणनीति तीन मुख्य स्तंभों पर आधारित हो सकती है:
- ज्ञान-साझाकरण (Knowledge Sharing): भारत अपने अनुभव और तकनीकी क्षमता को अन्य देशों के साथ साझा कर सकता है।
- संयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम: पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया पर क्षेत्रीय प्रशिक्षण कार्यशालाएँ आयोजित करना।
- साझा मीडिया नेटवर्क: AIBD के माध्यम से एशिया-प्रशांत क्षेत्र का साझा प्रसारण नेटवर्क विकसित करना।
वैश्विक संदर्भ में भारत का योगदान
भारत केवल क्षेत्रीय स्तर पर ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी मीडिया सहयोग में योगदान दे सकता है।
- G20 अध्यक्षता के दौरान भारत ने डिजिटल मीडिया और सूचना प्रवाह को लोकतांत्रिक बनाने पर जोर दिया।
- BRICS और SCO जैसे मंचों पर भारत मीडिया सहयोग को बढ़ावा देता रहा है।
- AIBD की अध्यक्षता के माध्यम से भारत अब एशिया-प्रशांत क्षेत्र को वैश्विक मीडिया नेटवर्क से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
चुनौतियाँ
हालांकि यह उपलब्धि गौरवपूर्ण है, लेकिन इसके साथ कुछ चुनौतियाँ भी हैं:
- डिजिटल असमानता – सभी सदस्य देशों के पास समान तकनीकी क्षमता नहीं है।
- सूचना सुरक्षा – फेक न्यूज, साइबर सुरक्षा और डेटा प्राइवेसी जैसी समस्याएँ।
- राजनीतिक मतभेद – सदस्य देशों के बीच राजनीतिक असहमति मीडिया सहयोग को प्रभावित कर सकती है।
- भाषाई विविधता – एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सैकड़ों भाषाएँ बोली जाती हैं, जो साझा प्रसारण के लिए चुनौती है।
भविष्य की दिशा
भारत की अध्यक्षता AIBD के लिए एक नए युग की शुरुआत हो सकती है। इसके अंतर्गत:
- डिजिटल मीडिया इनोवेशन हब स्थापित किया जा सकता है।
- फैक्ट-चेकिंग नेटवर्क बनाया जा सकता है ताकि गलत सूचना से निपटा जा सके।
- सांस्कृतिक प्रसारण महोत्सव आयोजित किए जा सकते हैं, जिनमें सदस्य देश अपनी संस्कृति और परंपराओं का प्रदर्शन करें।
- ग्रीन ब्रॉडकास्टिंग यानी पर्यावरण-अनुकूल प्रसारण तकनीक पर जोर दिया जा सकता है।
निष्कर्ष
भारत का AIBD की कार्यकारी परिषद का अध्यक्ष चुना जाना एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। यह न केवल भारत की मीडिया और प्रसारण क्षमता को दर्शाता है, बल्कि इसके बढ़ते वैश्विक नेतृत्व और कूटनीतिक प्रभाव का भी परिचायक है।
एशिया-प्रशांत क्षेत्र आज आर्थिक, राजनीतिक और तकनीकी दृष्टि से तेजी से बदल रहा है। ऐसे समय में AIBD के माध्यम से भारत का नेतृत्व क्षेत्रीय सहयोग को सुदृढ़, डिजिटल मीडिया को सशक्त और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहित कर सकता है।
अंततः, यह कहा जा सकता है कि AIBD में भारत की अध्यक्षता केवल एक संस्थागत सफलता नहीं, बल्कि भारत की वैश्विक मीडिया कूटनीति (Global Media Diplomacy) की दिशा में उठाया गया सशक्त कदम है।
इन्हें भी देखें –
- इंटेल कॉरपोरेशन (Intel Corporation): अमेरिकी सरकार के निवेश और भविष्य की संभावनाएँ
- भारत के रजिस्ट्रार जनरल (RGI) और जन्म–मृत्यु पंजीकरण प्रणाली
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