निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण | सामाजिक न्याय की दिशा में एक आवश्यक कदम
भारतीय लोकतंत्र की आत्मा सामाजिक न्याय में बसती है। संविधान निर्माताओं ने यह सपना देखा था कि देश में प्रत्येक नागरिक को समान अवसर प्राप्त होंगे, चाहे उसकी जाति, धर्म, वर्ग या क्षेत्रीय पृष्ठभूमि कुछ भी हो। परंतु आज, स्वतंत्रता के इतने वर्षों बाद भी, सामाजिक और शैक्षणिक विषमता ज्यों की त्यों बनी हुई है। … Read more