प्रारब्ध | कहानी – मुंशी प्रेमचंद

प्रारब्ध | कहानी - मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद की कहानी “प्रारब्ध” एक वृद्ध व्यक्ति लाला जीवनदास के जीवन के अंतिम दिनों को चित्रित करती है। जीवनदास छह महीने से बिस्तर पर पड़े हैं और मृत्युशय्या पर हैं। उन्होंने अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना किया है, जिससे वे निराश और नास्तिक हो गए हैं। उनका जीवन संघर्षपूर्ण रहा है और … Read more

यह मेरी मातृभूमि है | कहानी – मुंशी प्रेमचंद

यह मेरी मातृभूमि है

“यह मेरी मातृभूमि है” मुंशी प्रेमचंद जी द्वारा लिखी यह कहानी एक वृद्ध व्यक्ति की गहरी और भावनात्मक यात्रा को दर्शाती है, जो 60 वर्षों के बाद अपनी मातृभूमि भारत लौटता है। यह कहानी न केवल एक व्यक्ति की देशप्रेम की कहानी है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, परंपरा, और आधुनिकता के टकराव को भी प्रस्तुत … Read more

युग्म-शब्द : अर्थ, परिभाषा, 500+ उदाहरण | उच्चारण में समान अर्थ में भिन्न

युग्म-शब्द (शब्द युग्म) | उच्चारण में सामान अर्थ में भिन्न

शब्द-युग्म (युग्म-शब्द) हिंदी व्याकरण और साहित्य का एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है, जो विद्यार्थियों, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वालों तथा भाषा-प्रेमियों के लिए समान रूप से उपयोगी है। शब्द-युग्म (युग्म-शब्द) ऐसे शब्दों को कहा जाता है, जिनका उच्चारण और वर्तनी लगभग समान होती है, किंतु उनके अर्थ अलग-अलग होते हैं। इन्हें ‘समश्रुत शब्द’, ‘श्रुतिसम … Read more

पदबन्ध (Phrase) | परिभाषा, भेद एवं उदाहरण

पदबन्ध (Phrase) | परिभाषा, भेद एवं उदाहरण

पदबन्ध (Padbandh) एक साहित्यिक संज्ञा है जो संस्कृत व्याकरण और साहित्य में प्रयोग होती है। यह शब्द दो शब्दों “पद” और “बन्ध” से मिलकर बना है। “पद” का अर्थ होता है शब्द या वाक्यांश, और “बन्ध” का अर्थ होता है बंधन या जोड़ना। इस प्रकार, पदबन्ध का अर्थ है शब्दों या वाक्यांशों का विशेष प्रकार … Read more

शब्द किसे कहते हैं? तत्सम, तद्भव, देशज एवं विदेशी शब्द

शब्द किसे कहते हैं? तत्सम, तद्भव, देशज एवं विदेशी शब्द

शब्द उस ध्वनि या ध्वनि समूह को कहते हैं जो किसी भाषा में एक अर्थ को प्रकट करता है। यह ध्वनि या ध्वनि समूह एक या एक से अधिक वर्णों से मिलकर बना होता है। उदाहरण के लिए: शब्द केवल अर्थपूर्ण ध्वनियों का समूह नहीं है, बल्कि यह भाषा का आधारभूत तत्व है, जिसके माध्यम … Read more

सवा सेर गेंहूँ | कहानी – मुंशी प्रेमचंद

सवा सेर गेंहूँ | कहानी - मुंशी प्रेमचंद

“सवा सेर गेंहूँ” एक महत्वपूर्ण और समकालीन कहानी है, जो आज भी प्रासंगिक है। यह प्रेमचंद की अद्वितीय लेखनी और उनकी समाज के प्रति गहरी समझ का प्रमाण है। कहानी हमें यह याद दिलाती है कि समाज में न्याय और समानता की स्थापना के लिए हमें निरंतर प्रयासरत रहना चाहिए। प्रेमचंद ने अपने सरल और … Read more

नागपूजा | कहानी – मुंशी प्रेमचंद

नागपूजा | कहानी - मुंशी प्रेमचंद

“नागपूजा” मुंशी प्रेमचंद जी की एक उत्कृष्ट रचना है, जो पाठक को अंत तक बांधे रखती है। कहानी की रहस्यमयी और अद्भुत तत्व, साथ ही इसके सामाजिक और मनोवैज्ञानिक पहलू, इसे एक यादगार और विचारोत्तेजक कथा बनाते हैं। यह कहानी न केवल मनोरंजन प्रदान करती है, बल्कि पाठक को गहरे विचार और संवेदना के स्तर … Read more

बूढ़ी काकी | कहानी – मुंशी प्रेमचंद

बूढ़ी काकी | कहानी - मुंशी प्रेमचंद

“बूढ़ी काकी” एक संवेदनशील और सामाजिक चेतना जागृत करने वाली कहानी है। प्रेमचंद ने बुजुर्गों के प्रति समाज की उपेक्षा और उनके साथ होने वाले दुर्व्यवहार को बड़ी ही संवेदनशीलता से प्रस्तुत किया है। यह कहानी हमें अपने बुजुर्गों के प्रति सहानुभूति, सम्मान और देखभाल का महत्व सिखाती है। कुल मिलाकर, “बूढ़ी काकी” एक उत्कृष्ट … Read more

भाड़े का टट्टू | कहानी – मुंशी प्रेमचंद

भाड़े का टट्टू | कहानी - मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद की “भाड़े का टट्टू” कहानी एक गहरी सामाजिक और नैतिक कहानी है। यशवंत और रमेश के माध्यम से प्रेमचंद ने समाज के विभिन्न पहलुओं को उजागर किया है और पाठकों को सोचने पर मजबूर किया है कि जीवन में आदर्शों और व्यावहारिकता के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए। दोनों पात्र अपने-अपने तरीके से … Read more

मृत्यु के पीछे | कहानी – मुंशी प्रेमचंद

मृत्यु के पीछे | कहानी - मुंशी प्रेमचंद

“मृत्यु के पीछे” कहानी मुंशी प्रेमचंद जी द्वारा लिखी गयी समाज सेवा, आदर्शवाद, और पारिवारिक संघर्षों की प्रेरणादायक गाथा है। इसमें एक समर्पित व्यक्ति ईश्वरचंद्र के जीवन को चित्रित किया गया है, जो अपने आदर्शों के लिए परिवार और व्यक्तिगत इच्छाओं को त्याग देता है। उनकी पत्नी मानकी का यथार्थवादी दृष्टिकोण और उनके बीच के … Read more

सर्वनाम (Pronoun) किसे कहते है? परिभाषा, भेद एवं उदाहरण भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग | नाम, स्थान एवं स्तुति मंत्र प्रथम विश्व युद्ध: विनाशकारी महासंग्राम | 1914 – 1918 ई.