विश्व राजनीति और भू-रणनीतिक दृष्टि से मध्य पूर्व सदैव ही एक अत्यंत संवेदनशील और महत्वपूर्ण क्षेत्र रहा है। यहाँ के देशों में फैली ऊर्जा संपदाओं ने इस क्षेत्र को वैश्विक अर्थव्यवस्था का केन्द्र बिन्दु बना दिया है। इस क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति, विशेष रूप से हॉर्मुज़ जलडमरूमध्य (Strait of Hormuz) का महत्व, वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति और सामरिक रणनीतियों के संदर्भ में सर्वोपरि है। हाल ही में ईरान की संसद द्वारा इस जलडमरूमध्य को बंद करने के प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद दुनिया भर में चिंताओं की लहर दौड़ गई है। यह कदम अमेरिका द्वारा ईरान पर किए गए हवाई हमलों के प्रतिउत्तर में उठाया गया है और अब इस पर अंतिम निर्णय ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद को लेना है।
इस लेख में हम हॉर्मुज़ जलडमरूमध्य के भू-राजनीतिक, आर्थिक, और सामरिक महत्व, इससे जुड़े हालिया घटनाक्रमों और इसके अवरुद्ध होने पर वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति और अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभावों का विस्तार से विश्लेषण करेंगे।
हॉर्मुज़ जलडमरूमध्य: भौगोलिक स्थिति और विशेषताएँ
हॉर्मुज़ जलडमरूमध्य फारस की खाड़ी (Persian Gulf) को ओमान की खाड़ी (Gulf of Oman) और आगे अरब सागर से जोड़ने वाली एक संकरी समुद्री पट्टी है। इस जलडमरूमध्य की भू-आकृति इसे रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण बनाती है।
- चौड़ाई: जलडमरूमध्य का सबसे संकीर्ण बिंदु लगभग 33 किलोमीटर चौड़ा है।
- नौवहन लेन: इस चौड़ाई में भी दोनों दिशाओं में जहाजों की आवाजाही के लिए केवल 3-3 किलोमीटर की नौवहन लेन उपलब्ध है, जबकि बीच में 2 किलोमीटर का बफर ज़ोन होता है।
- प्रादेशिक अधिकार: यह जलडमरूमध्य ईरान और ओमान के क्षेत्रीय जलक्षेत्रों के अंतर्गत आता है।
इसकी संकीर्णता और सीमित मार्ग इसे किसी भी प्रकार की नौसैनिक अवरोध या सैन्य टकराव के प्रति बेहद संवेदनशील बनाती है। यही कारण है कि इस जलडमरूमध्य की सुरक्षा और स्थायित्व पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी रहती हैं।
वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति में हॉर्मुज़ जलडमरूमध्य की भूमिका
हॉर्मुज़ जलडमरूमध्य को दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण ऊर्जा परिवहन chokepoint माना जाता है।
- तेल व्यापार: US Energy Information Administration (EIA) के अनुसार वर्ष 2024 में समुद्री मार्ग से होने वाले वैश्विक तेल व्यापार का लगभग 25% तेल इस जलडमरूमध्य से होकर गुज़रा। यह विश्व की कुल तेल खपत का लगभग 20% है।
- तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG): वैश्विक LNG व्यापार का 20% भाग भी हॉर्मुज़ जलडमरूमध्य से होकर निकलता है। विशेषकर कतर जैसे देशों की LNG आपूर्ति इसी मार्ग पर निर्भर करती है।
- तेल उत्पादक देशों की निर्भरता: ईरान, सऊदी अरब, कुवैत, इराक और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) जैसे प्रमुख तेल उत्पादक देशों का कच्चा तेल और गैस निर्यात इसी जलडमरूमध्य के माध्यम से होता है।
इस मार्ग पर किसी भी प्रकार का अवरोध वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति की शृंखला को बुरी तरह से बाधित कर सकता है, जिसके परिणामस्वरूप तेल और गैस की कीमतों में असामान्य वृद्धि, वैश्विक आर्थिक अस्थिरता और महंगाई की लहर देखने को मिल सकती है।
कोई व्यवहार्य वैकल्पिक समुद्री मार्ग क्यों नहीं?
हॉर्मुज़ जलडमरूमध्य का कोई समान स्तर का वैकल्पिक समुद्री मार्ग नहीं है। यदि यह जलडमरूमध्य अवरुद्ध हो जाए, तो तेल उत्पादक देशों को भूमि आधारित पाइपलाइनों पर निर्भर होना पड़ेगा।
प्रमुख विकल्प
- सऊदी अरब की ईस्ट-वेस्ट पाइपलाइन
- यह पाइपलाइन फारस की खाड़ी से तेल को रेड सी तक ले जाती है।
- इसकी अधिकतम क्षमता लगभग 5 मिलियन बैरल प्रतिदिन है।
- UAE की अबू धाबी से फुजैरा पाइपलाइन
- यह पाइपलाइन लगभग 8 मिलियन बैरल प्रतिदिन की क्षमता रखती है और हॉर्मुज़ को बायपास कर सीधे ओमान की खाड़ी में पहुँचती है।
हालांकि इन दोनों पाइपलाइनों की संयुक्त क्षमता हॉर्मुज़ जलडमरूमध्य से गुजरने वाले प्रतिदिन लगभग 20 मिलियन बैरल तेल के मुकाबले बहुत कम है। इसके अलावा, LNG के लिए तो ऐसा कोई भी वैकल्पिक पाइपलाइन मार्ग व्यावहारिक रूप से मौजूद नहीं है।
हॉर्मुज़ जलडमरूमध्य की रणनीतिक संवेदनशीलता
हॉर्मुज़ जलडमरूमध्य का संकीर्ण भूगोल, इस पर निर्भरता और यहाँ की राजनीतिक अस्थिरता इसे अत्यधिक संवेदनशील बनाती है।
- नौसैनिक टकराव की आशंका: यहाँ पर किसी भी प्रकार की नौसैनिक गतिविधि या अवरोधक कार्रवाई तेल टैंकरों की आवाजाही को बाधित कर सकती है।
- खानों और मिसाइल हमलों का खतरा: जल मार्ग में माइनिंग या मिसाइल हमले टैंकरों के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न कर सकते हैं।
- राजनीतिक दबाव और कूटनीति: ईरान इस जलडमरूमध्य का उपयोग कई बार पश्चिमी देशों पर दबाव बनाने के लिए कर चुका है।
हालिया घटनाक्रम और वैश्विक प्रतिक्रियाएँ
हाल ही में अमेरिका द्वारा ईरान के तीन सैन्य ठिकानों पर किए गए हवाई हमलों ने इस क्षेत्र में तनाव को नई ऊँचाइयों पर पहुँचा दिया है। इसके प्रतिउत्तर में ईरान की संसद ने हॉर्मुज़ जलडमरूमध्य को बंद करने का प्रस्ताव पारित कर दिया। यद्यपि अंतिम निर्णय सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद को लेना है, पर इस प्रस्ताव ने वैश्विक ऊर्जा बाजारों में हलचल मचा दी है।
विशेषज्ञों का मानना है कि जहाँ पहले ईरान की ओर से इस तरह की चरम प्रतिक्रिया की संभावना कम मानी जा रही थी, अब वह वास्तविकता में बदलती दिख रही है। यह कदम न केवल क्षेत्रीय संघर्ष को बढ़ा सकता है, बल्कि वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा कर सकता है।
वैश्विक ऊर्जा बाजार पर संभावित प्रभाव
यदि हॉर्मुज़ जलडमरूमध्य में कोई व्यवधान होता है, तो इसके वैश्विक प्रभाव तत्काल और व्यापक होंगे:
- तेल कीमतों में उछाल: अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें कुछ ही घंटों में 20-30% तक बढ़ सकती हैं।
- गैस की आपूर्ति बाधित: LNG की आपूर्ति पर असर पड़ेगा, जिससे यूरोप और एशिया में गैस की कीमतों में भारी उछाल आ सकता है।
- वैश्विक महँगाई: ऊर्जा की कीमतें बढ़ने से परिवहन, उत्पादन और उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी होगी।
- वैश्विक आर्थिक विकास पर प्रभाव: ऊर्जा लागत में बढ़ोतरी से विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था पर सबसे अधिक दबाव पड़ेगा।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और रणनीतियाँ
इस संभावित संकट के चलते अमेरिका, यूरोपीय संघ, और अन्य तेल आयातक देश पहले ही स्थिति पर कड़ी नजर रखे हुए हैं।
- नौसैनिक गश्तों में वृद्धि: अमेरिका और उसके सहयोगियों ने फारस की खाड़ी और ओमान की खाड़ी में अपने नौसैनिक बलों की गतिविधियाँ तेज कर दी हैं।
- डिप्लोमैटिक प्रयास: संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर तनाव कम करने के प्रयास तेज किए जा रहे हैं।
- वैकल्पिक आपूर्ति स्रोत: अमेरिका और अन्य देश वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता बढ़ाने और रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार (Strategic Petroleum Reserve) के उपयोग पर विचार कर रहे हैं।
हॉर्मुज़ जलडमरूमध्य केवल एक भौगोलिक जलमार्ग नहीं, बल्कि वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति की जीवनरेखा है। इसकी सुरक्षा और निर्बाध संचालन वैश्विक आर्थिक स्थिरता के लिए अत्यंत आवश्यक है।
आज की स्थिति में, जब भू-राजनीतिक तनाव बढ़ रहे हैं और क्षेत्र में अस्थिरता व्याप्त है, यह ज़रूरी है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय मिलकर इस महत्वपूर्ण chokepoint को सुरक्षित रखने और संभावित टकरावों को रोकने के लिए ठोस प्रयास करे।
यदि हॉर्मुज़ जलडमरूमध्य अवरुद्ध होता है, तो यह केवल तेल और गैस की आपूर्ति का संकट नहीं होगा, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था और शांति के लिए भी एक गंभीर चुनौती उत्पन्न करेगा। अतः इस संवेदनशील जलमार्ग की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए, और सभी पक्षों को संयम और कूटनीतिक समाधान की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।
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